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General Pharmacology and General action of Drugs
फार्माकोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जो दवाओं के प्रभाव, क्रिया तंत्र, उपयोग और दुष्प्रभावों का अध्ययन करती है। यह पुस्तक सामान्य फार्माकोलॉजी और दवाओं की सामान्य क्रिया को समझने के लिए एक सरल और व्यवस्थित मार्गदर्शिका है। इस पुस्तक का उद्देश्य छात्रों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को दवाओं के बारे में मूलभूत ज्ञान प्रदान करना है।
फार्माकोलॉजी चिकित्सा विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है जो दवाओं के प्रभाव, उनके शरीर पर क्रिया तंत्र, और उनके उपयोग से संबंधित ज्ञान प्रदान करता है। यह विज्ञान चिकित्सकों को रोगों के उपचार के लिए सही दवाओं का चयन करने और उनके सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
फार्माकोलॉजी के माध्यम से नई दवाओं का विकास, उनकी प्रभावकारिता और साइड इफेक्ट्स का अध्ययन किया जाता है, जिससे रोगियों के लिए बेहतर उपचार विकल्प उपलब्ध होते हैं। इस प्रकार, फार्माकोलॉजी चिकित्सा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में योगदान देता है।
Drug Toxicity
दवा की विषाक्तता (Drug Toxicity) एक गंभीर स्थिति हो सकती है जो अनुचित खुराक, दवा के अधिक सेवन, या शरीर द्वारा सही तरीके से दवा को संसाधित न कर पाने के कारण उत्पन्न होती है। इसके प्रभाव हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जिसमें मतली, उल्टी, अंग क्षति, या कभी-कभी घातक परिणाम भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए, दवाओं का उचित उपयोग, चिकित्सकीय परामर्श, और संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी आवश्यक है ताकि विषाक्तता से बचाव किया जा सके।
Methods of administration
दवाओं के प्रशासन की विधियाँ (Methods of Administration) रोगी की स्थिति, दवा के प्रकार, और इसके प्रभावशीलता के आधार पर चुनी जाती हैं। इसमें मौखिक (Oral), इंजेक्शन (Intravenous, Intramuscular, Subcutaneous), त्वचा पर लगाने योग्य (Topical), सांस द्वारा (Inhalation) और अन्य विधियाँ शामिल हैं। सही प्रशासनिक विधि दवा के अधिकतम प्रभाव को सुनिश्चित करती है और दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करती है। इसलिए, दवाओं को सही विधि से और चिकित्सकीय मार्गदर्शन में ही लेना आवश्यक है।
Chemotherapeutic agents, antibiotics, sulpha drugs
कीमोथेराप्यूटिक एजेंट्स (Chemotherapeutic agents), एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), और सल्फा ड्रग्स (Sulpha drugs) आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में संक्रामक रोगों के उपचार और रोकथाम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये दवाएं विभिन्न प्रकार के रोगजनकों, जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवियों, के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती हैं।
- कीमोथेराप्यूटिक एजेंट्स का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर के इलाज में किया जाता है। ये एजेंट्स कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनकी वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं। हालांकि, इनके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, क्योंकि ये सामान्य कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकते हैं।
- एंटीबायोटिक्स बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इनका उपयोग सही ढंग से न करने पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic resistance) की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती है।
- सल्फा ड्रग्स संक्रामक रोगों के इलाज में प्रभावी हैं और इनका उपयोग विशेष रूप से बैक्टीरियल संक्रमण के लिए किया जाता है। ये दवाएं बैक्टीरिया के विकास को रोकती हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं।
इन दवाओं का सही और उचित उपयोग रोगियों के लिए सुरक्षित और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करता है। हालांकि, इनके दुरुपयोग या गलत उपयोग से दुष्प्रभाव और प्रतिरोधक क्षमता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इन दवाओं का उपयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।
Vitamins
विटामिन्स हमारे शरीर के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं जो शारीरिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने और स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये शरीर में ऊर्जा उत्पादन, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, हड्डियों और त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने, और अन्य महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं।
विटामिन्स हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक हैं और इनकी संतुलित मात्रा स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है। संतुलित आहार के माध्यम से विटामिन्स की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। विटामिन्स की कमी या अधिकता दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इनका उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
- विटामिन्स दो प्रकार के होते हैं:
- वसा में घुलनशील विटामिन्स (Fat-soluble vitamins): इनमें विटामिन A, D, E और K शामिल हैं। ये विटामिन्स शरीर में वसा में जमा हो जाते हैं और लंबे समय तक उपयोग में आते हैं।
- पानी में घुलनशील विटामिन्स (Water-soluble vitamins): इनमें विटामिन B-कॉम्प्लेक्स (जैसे B1, B2, B3, B6, B12) और विटामिन C शामिल हैं। ये विटामिन्स शरीर में जमा नहीं होते और अतिरिक्त मात्रा मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाती है।
विटामिन्स की कमी से विभिन्न रोग हो सकते हैं
- विटामिन A की कमी से रतौंधी (Night blindness) हो सकता है।
- विटामिन D की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं (रिकेट्स और ऑस्टियोपोरोसिस)।
- विटामिन C की कमी से स्कर्वी (Scurvy) हो सकता है।
- विटामिन B12 की कमी से एनीमिया और तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
विटामिन्स के स्रोत:
- विटामिन्स प्राकृतिक रूप से फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मांस, मछली, और अनाज में पाए जाते हैं।
- विटामिन D सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से भी शरीर में बनता है।
विटामिन्स का महत्व:
- विटामिन्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
- ये त्वचा, बाल, और नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
- विटामिन्स शरीर में एंजाइम्स और हार्मोन्स के निर्माण में मदद करते हैं।
- विटामिन्स की अधिकता (Hypervitaminosis) भी हानिकारक हो सकती है, खासकर वसा में घुलनशील विटामिन्स की।
- विटामिन सप्लीमेंट्स का उपयोग केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही करना चाहिए।
Action of sera and vaccines
सीरम और वैक्सीन दोनों ही रोगों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इनकी क्रिया और उपयोग के तरीके अलग-अलग होते हैं। सीरम त्वरित प्रतिरक्षा प्रदान करता है, जबकि वैक्सीन दीर्घकालिक प्रतिरक्षा विकसित करता है। दोनों का उपयोग चिकित्सा विज्ञान में रोगों के उपचार और रोकथाम के लिए किया जाता है।
सीरम (Sera) की क्रिया
सीरम एक प्रकार का बायोलॉजिकल उत्पाद है जिसमें पहले से तैयार किए गए एंटीबॉडीज़ (Antibodies) होते हैं। ये एंटीबॉडीज़ किसी विशेष रोगजनक (Pathogen) के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं।
- क्रिया तंत्र:
- सीरम में मौजूद एंटीबॉडीज़ सीधे रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया, वायरस, या टॉक्सिन) से जुड़कर उसे निष्क्रिय कर देते हैं।
- यह त्वरित प्रतिरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि शरीर को एंटीबॉडीज़ बनाने की आवश्यकता नहीं होती।
- उपयोग:
- सीरम का उपयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब तत्काल प्रतिरक्षा की आवश्यकता होती है, जैसे कि सांप के काटने (Snake bite), टेटनस (Tetanus), या रेबीज (Rabies) के मामलों में।
- यह अस्थायी प्रतिरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि इसमें मौजूद एंटीबॉडीज़ कुछ समय बाद खत्म हो जाते हैं।
- उदाहरण:
- एंटीवेनम (Antivenom) सांप के जहर के लिए।
- टेटनस इम्यूनोग्लोबुलिन (Tetanus Immunoglobulin)।
वैक्सीन (Vaccines) की क्रिया
वैक्सीन एक प्रकार का जैविक पदार्थ है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी विशेष रोगजनक के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
- क्रिया तंत्र:
- वैक्सीन में रोगजनक का कमजोर (Attenuated), निष्क्रिय (Inactivated), या उसका एक हिस्सा (जैसे प्रोटीन या जीन) होता है।
- यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है, जिससे एंटीबॉडीज़ और मेमोरी कोशिकाएं (Memory Cells) बनती हैं।
- भविष्य में यदि वही रोगजनक शरीर में प्रवेश करता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली उसे तेजी से पहचानकर नष्ट कर देती है।
- उपयोग:
- वैक्सीन का उपयोग रोगों की रोकथाम (Prevention) के लिए किया जाता है।
- यह दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि शरीर खुद एंटीबॉडीज़ और मेमोरी कोशिकाएं बनाता है।
- उदाहरण:
- पोलियो वैक्सीन (Polio Vaccine)।
- टीबी के लिए BCG वैक्सीन।
- COVID-19 वैक्सीन (जैसे Covishield, Covaxin)।
सीरम और वैक्सीन में अंतर
पैरामीटर | सीरम (Sera) | वैक्सीन (Vaccine) |
---|---|---|
क्रिया | त्वरित प्रतिरक्षा प्रदान करता है। | दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करता है। |
एंटीबॉडीज़ | पहले से तैयार एंटीबॉडीज़ होते हैं। | शरीर खुद एंटीबॉडीज़ बनाता है। |
प्रभाव की अवधि | अस्थायी (कुछ हफ्तों से महीनों तक)। | दीर्घकालिक (कई वर्षों तक)। |
उपयोग | तत्काल प्रतिरक्षा के लिए। | रोगों की रोकथाम के लिए। |

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